.
Posted on July 1, 2011.
पाकिस्तान का अमेरिका को झटका
इस्लामाबाद. पाकिस्तान के कबायली इलाकों में आतंकवादियों के खिलाफ अभियान को लेकर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में कड़वाहट और तेज होती दिख रही है। पाकिस्तान के एक ओर जहां अमेरिका से कहा है कि वह उसके कबायली इलाकों में स्थित एयरबेस खाली कर दे जहां से ड्रोन हमलों को अंजाम दिया जाता रहा है। वहीं अमेरिका इन इलाकों में अल कायदा को पूरी तरह नहस करने के लिए इन इलाकों में ऑपरेशन के लिए पूरी तैयारी कर ली है।
अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान-अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में अल कायदा को फिर से सुरक्षित पनाह बनाने से रोकने के लिए इन इलाकों में कार्रवाई जरूरी है। होमलैंड सिक्यूरिटी डिपार्टमेंट के प्रेसिडेंट के सहायक जॉन ब्रेनन ने कहा, ‘हम अल कायदा के ठिकानों को पूरी तरह तहस-नहस करना चाहते हैं जिससे भविष्य पर हमारी जमीन, हमारे लोगों या हमारे सहयोगियों पर किसी तरह के हमले न हो सकें।’ माना जाता है कि अल कायदा और उसके सहयोगी आतंकी गुटों का ठिकाना पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सीमा से सटे वहीं कबायली इलाके हैं जहां से पाकिस्तान अमेरिका को एयरबेस का इस्तेमाल से रोक रहा है। ऐसे में दोनों देशों के बीच इस मसले पर तनातनी होने की उम्मीद है।
एयरबेस के इस्तेमाल से रोका
पाकिस्तान ने अमेरिका से कहा है कि वो रेगिस्तानी इलाकों में स्थित एयरबेस का इस्तेमाल बंद कर दे। माना जाता है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए इन्हीं एयरबेस से पाकिस्तानी सीमा के भीतर ड्रोन हमलों को अंजाम देती रही है। पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ ने खबर दी है कि बलूचिस्तान स्थित शमसी एयरबेस को जल्द ही खाली करा लिया जाएगा जबकि खैबर पख्तूनवा स्थित गाजी एयरबेस को पाकिस्तानी वायु सेना के हवाले कर दिया गया है।
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री चौधरी अहमद मुख्तार ने बताया कि उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों को शमसी एयरबेस छोड़ देने को कहा गया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि अमेरिका ने शमसी एयरबेस से अपना साजोसामान हटाने के लिए कुछ वक्त मांगा है। मुख्तार का ताजा बयान इस बात का संकेत है कि लादेन के मारे जाने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण होते जा रहे हैं और पाकिस्तान अपनी जमीन पर होने वाली अमेरिकी गतिविधियों को सीमित करने की कोशिश कर रहा है।
रक्षा मंत्री ने दोहराया कि बीते 2 मई की रात एबटाबाद में अमेरिकी कमांडो ऑपरेशन में लादेन के मारे जाने की घटना के बाद पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रिश्तों में दूरी आई है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ जंग में मदद के लिए जारी की जाने वाली रकम रोक ली है। उन्होंने कहा कि लादेन के ठिकाने पर हमले करते समय अमेरिका ने पाकिस्तान को भरोसे में लेने की कोशिश नहीं की, अपने प्रमुख सहयोगी ब्रिटेन को भी इस मामले में अंधेरे में रखा।
मुख्तार ने कहा कि पाकिस्तान अमेरिका के साथ जंग लड़ने की स्थिति में नहीं है लेकिन उसे अमेरिका के साथ अपने रिश्तों पर फिर से विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने जब से आर्थिक मदद रोकी है उस वक्त से पाकिस्तान सीमित संसाधनों के बूते आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के लिए ज्यादा दिनों तक यह जंग लड़ना मुश्किल हो जाएगा। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने कहा कि लादेन की मौत के बाद सीनेटर जॉन केरी पाकिस्तान का दौरा करने वाले पहले अमेरिकी नेता थे और उन्होंने पाकिस्तान को आश्वस्त किया था कि पाकिस्तानी परमाणु संसाधनों को अमेरिका की ओर से कोई खतरा नहीं है।
‘नीयत पर सवाल न उठाए अमेरिका’
इस बीच, पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने अमेरिकी सैन्य कमांडरों के उन दावों को खारिज कर दिया है कि आतंकवादियों से लड़ने की उनकी सेना की क्षमता और प्रतिबद्धता में कमी आई है। आईएसपीआर के प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास ने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ जंग में हमारी नीयत पर सवाल उठाने से पहले हमारी चिंताओं और सीमाओं पर जरूर गौर किया जाना चाहिए।’ पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि उनकी सेनाएं आतंकवाद के खिलाफ कोई भी नया अभियान छेड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और पहले के ऐसे अभियानों से उन्हें काफी मदद मिल रही है।
Leave a Reply
You must be logged in to post a comment.