America, the Country that Executed bin Laden and Saddam, Deceives India

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शिकागो. डेनमार्क में एक अख़बार पर आतंकी साजिश रचने के मामले में अमेरिका में डेविड कोलमैन हेडली को 35 साल की सुनाई गई है। लश्कर आतंकी हेडली को मौत की सजा देने के बजाय जिंदा छोड़ देना कई तरह के सवालों को जन्म देता है। क्या यह अमेरिका का आतंक के खिलाफ दोहरी नीति है। जबकि इसके साफ था कि हेडली मुंबई हमलों के साजिश में शामिल था। इसके बावजूद अमेरिका ने उसके प्रति नरमी दिखाई।

हेडली को सजा सुनाते वक्त कोर्ट खचाखच भरा हुआ था। वहां मौजूद लोग सजा में इतनी नरमी देख कर हैरान रह गए। वहीं, जज ने भी सजा सुनाने के बाद सिर्फ यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उनके कितनी भी गंभीर सजा देने के बाद भी आतंकियों की फितरत नहीं बदलेगी।

अमेरिका कई बार आतंकियों को सबक सिखाने की बात सार्वजनिक रूप से कह चुका है। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के आरोपी ओसामा बिन लादेन को मार गिराने के लिए उसने दस सालों तक खोजी अभियान चलाया। जैविक हथियारों की अफवाह फैलाकर इराक पर जंग थोपी गई और सद्दाम हुसैन को फांसी पर लटका दिया। लेकिन, मुंबई हमलों के साजिशकर्ताओं में शामिल हेडली के लिए अमेरिका की इतनी नरमी समझ के बाहर है।

देश के जाने-माने सरकारी वकील उज्जवल निकम के लिए हेडली को दी गई सजा हजम कर पाना मुश्किल हो रहा है। वे कहते हैं कि मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब और हेडली की गुनाह एक समान हैं। हमने कसाब को फांसी पर लटकाया, अगर हेडली भारत में होता तो उसे भी यही सजा मिलती। अमेरिका आतंक से सख्ती से निपटने के लिए तो कहता है, लेकिन हेडली जैसे लोगों को जिंदा छोड़ देता है। अमेरिका का यह दोहरापन है, क्योंकि हेडली एक अमेरिकी है।

अपने पहले कार्यकाल में भारत आए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आतंकियों को कड़ा संदेश देते हुए किसी भी तरह की नरमी न बरतने की आह्वान किया था। उन्होंने होटल ताज में ठहरकर हमलों में मारे गए लोगों को श्रद्धाजंलि दी। इस हमले में कई अमेरिका के साथ कई विदेशी नागरिक मारे गए थे। उन्होंने आतंकवाद पर लगाम कसने के साथ भारतीय खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की बात कही थी। लश्कर आंतकी हेडली ने हमले से पहले मुंबई की रैकी की थी और वह साजिशकर्ताओं में शामिल था। इसके बावजूद अमेरिका ने भारत को हेडली सौंपने से मना कर दिया। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि प्रत्यर्पण की कोशिश जारी है।

भारत में आतंकी हमलों की जांच करने वाली एनआईए (राष्ट्रीय जांच आयोग) टीम को अमेरिका में गिरफ्तार हेडली से आमने-सामने बात करवाने से मना कर दिया था। बहुत कोशिश के बाद भारत, अमेरिकी अधिकारियों को मना पाया। लेकिन अमेरिका उन सवालों का ब्यौरा चाहता था, जो हेडली से पूछे जाने थे। हेडली को अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने गिरफ्तार किया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद भारत की टीम अमेरिका गई थी। तब अमेरिकी सरकार ने अपने कानूनों का हवाला देकर भारतीय टीम को हेडली से पूछताछ नहीं करने दिया था। लेकिन बाद में शर्त यह रखी गई कि यह सब पूछताछ अमेरिका में ही होगी।

हेडली एक अमेरिकी है तो क्या इसलिए अमेरिका ने उस पर रहमदिली दिखाई है। ग्वांतेनामो जेलों में बंद एशिया-मध्य पूर्व के न जाने कितने बेकसूर एशियाई और विशेष धर्म के लोगों पर जुल्म ढाए जाते हैं। कई बार वर्ल्ड मीडिया में ग्वांतेनामो जेल की भयावह तस्वीरें आने के बाद कोहराम मच चुका है, जिसे हिटलर के यातनागृह के समान बताया गया था। पाक-अफगान सीमा पर हो रहे अमेरिकी ड्रोन हमलों का शिकार मासूम लोग हो रहे हैं। खूब शोर मचाने के बाद भी अमेरिका पर इसका कोई असर नहीं होता है। सच तो यह है कि अमेरिका सिर्फ वही करता है, जो वह करना चाहता है।

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