Their Fault and Our Anger

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उनकी गलती और हमारा गुस्सा

गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

नई दिल्ली

अमेरिका में देवयानी खोबरागड़े के साथ हुई बदसुलूकी पर देश का बिफरना स्वाभाविक है। राजनयिक विदेशों में अपने देश की संप्रभुता के प्रतिनिधि होते हैं, लिहाजा उनके साथ दुर्व्यवहार देश की संप्रभुता को नीचा दिखाना है। राजनयिक पर नौकरानी के वीजा आवेदन में गलत जानकारी देने का आरोप है। लेकिन क्या यह इतना बड़ा अपराध है कि उन्हें हथकड़ी पहनाकर उनकी जामा तलाशी ली जाए!

हाल में कई रूसी राजनयिकों पर अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा से संबंधित धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगे थे, पर उन्हें अमेरिका से निष्कासित भर किया गया। मौजूदा मामले को ही लें, तो राजनयिक की घरेलू नौकरानी संगीता रिचर्ड के गायब हो जाने का मामला न्यूयॉर्क पुलिस में दर्ज कराने के बावजूद कोई कार्रवाई तो नहीं ही हुई, भारतीय अदालत के आदेशों और संगीता के खिलाफ जारी गैरजमानती वारंट की भी अनदेखी की गई।

संगीता का जो परिवार उसकी गुमशुदगी मामले में मदद करने को तैयार नहीं था, वह राजनयिक की गिरफ्तारी से दो दिन पहले अमेरिकी वीजा पर न्यूयॉर्क पहुंच गया! इसके साथ राजनयिक को ब्लैकमेल करने की घटनाओं को भी जोड़ लें, तो यह मामला सुनियोजित ही ज्यादा लगता है।

अमेरिकी विदेश मंत्री का खेद जताना भी सुबूत है कि भारतीय राजनयिक के साथ ज्यादती हुई। इसके बावजूद हमारे यहां सरकारी स्तर इसकी जैसी प्रतिक्रिया देखी गई, वह भावुक ही ज्यादा थी। आनन-फानन में नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के पास लगे अवरोधक तक हटा दिए गए, जबकि जिस वियना संधि का हवाला दिया जा रहा है, उसके मुताबिक, विदेशी दूतावास की सुरक्षा बरकरार रखना भी हमारा दायित्व है। घरेलू नौकरानी को कम वेतन देने को इतना बड़ा मुद्दा बना देना अमेरिकी दादागीरी और दोहरेपन का प्रमाण हो सकता है, लेकिन क्या इससे इन्कार कर सकते हैं कि इससे पहले भी अमेरिका स्थित भारतीय राजनयिकों से जुड़ी ऐसी शिकायतें आई हैं?

फिर भले ही इन तथ्यों का मौजूदा मामले से लेना-देना न हो, लेकिन मुंबई में आदर्श सोसाइटी सहित दो हाउसिंग सोसाइटी में देवयानी के नियम विरुद्ध दो रियायती फ्लैट का होना उनकी कोई अच्छी छवि पेश नहीं करता। ऐसे मामलों में जन विक्षोभ तो समझ में आता है, पर सरकार को व्यावहारिक होना चाहिए।

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