प्रधानमंत्री, वाशिंगटन पोस्ट और भाजपा
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के खिलाफ अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट की टिप्पणी व उस पर देश के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा की प्रतिक्रिया में हम देख सकते हैं कि देश की राजनीति किस दिशा में जा रही है?..और जिस दिशा में जा रही है, उसको सही नहीं माना जा सकता। इस मौके पर पूरे देश को वाशिंगटन पोस्ट की तीखे से तीखे शब्दों में एक स्वर में निंदा करनी चाहिए थी। आखिरकार, उसने एक संप्रभु देश और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री का मजाक उड़ाया है, जो प्रकारांतर से पूरे देश का मजाक उड़ाना ही है। यह सही है कि शब्दों में कुछ हेरफेर के साथ वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित लेख में वही सब बातें कही गई हैं, जो हमारे मीडिया का एक धड़ा भी आए दिन कहता रहता है। उनमें से बहुत-सी बातें गलत भी नहीं हैं। मसलन-इसमें कोई संदेह नहीं कि ईमानदार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शायद आजाद भारत की सबसे भ्रष्ट सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। मगर, भारतीय मीडिया को यह सब कहने का अधिकार है। जनता को सरकार के गुण-दोष कुल मिलाकर हमारा अपना मीडिया ही बताएगा।
सवाल यह है कि दूसरों को इस मामले में बोलने का अधिकार किसने दिया? दूसरे यदि
‘मान न मान, मैं तेरा मेहमान’ जबरन ही बने फिरें, तो फिर उन्हें जवाब दिया ही जाना चाहिए, पर दुख की बात यह है कि भाजपा ने यह मौका गंवा दिया। जो पार्टी राष्ट्रवाद की सबसे ज्यादा बात करती है, वह भी भाजपा ही है, मगर दूसरे आपके प्रधानमंत्री का मजाक उड़ाएं व संभावित राजनीतिक लाभ को देखकर आप भी दूसरों की हां में हां मिलाने लगें, तो राष्ट्रवाद को तो फिर से परिभाषित करना पड़ेगा। कायदे से तो आपको उस अमेरिकी अखबार की निंदा करनी चाहिए थी। कम से कम आप यह तो कहते ही कि वाशिंगटन पोस्ट ने जो लिखा, वह सही है, पर उसे ऐसा लिखना नहीं चाहिए था। यदि यह भी नहीं कह सकते थे, तो चुप रह जाते, जैसे दूसरे तमाम राजनीतिक दल चुप रहे।
मगर, आपकी खुशी तो छिपाए नहीं छिपी, तिस पर तुर्रा यह कि आप राष्ट्रवादी हैं। गौरतलब है कि वाशिंगटन पोस्ट ने जो बकवास की है, उसके पीछे उसका अमेरिका-वाद ही है। दरअसल, हमारे प्रधानमंत्री अमेरिका की अपेक्षाएं पूरी नहीं कर रहे हैं। वे ईरान से दूरी नहीं बना रहे हैं। तब अमेरिका उन पर हमले करेगा। अमेरिकी वही करते हैं, जिसमें उनके देश के हित निहित हों, जबकि हमारी बात अलग है। हम सत्ता-प्रेमी हैं। वरना और क्या कारण है कि वाशिंगटन पोस्ट की लफ्फाजी पर विपक्ष झूम उठा है?
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